चिड़िया अम्बर बन जाती है

पंखों को जब फैलाती है चिड़िया अम्बर बन जाती है   कितने मौसम लौट आते हैं जब चिड़िया गाना गाती है   धूप, छाँव, आँधी, बारिश को एक भाव से अपनाती है   तिनकों तक से मोह नहीं है छोड़ घोंसला उड़ जाती है   लेकिन देख धुँए के बादल वो भी कितना घबराती है